कार्तिक माह माहात्म्य – दूसरा अध्याय | Kartik maas katha - Adhyaya 2

सिमर चरण गुरुदेव के, लिखूं शब्द अनूप। कृपा करें भगवान, सतचितआनन्द स्वरूप।। भगवान श्रीकृष्ण आगे बोले …

कार्तिक माह माहात्म्य – तीसरा अध्याय | Kartik Maas Katha - Adhyaya 3

श्रीकृष्ण भगवान के चरणों में शीश झुकाओ। श्रद्धा भाव से पूजो हरि, मनवांछित फल पाओ।। सत्यभामा ने कहा –…

कार्तिक माह माहात्म्य – चौथा अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 4

माता शारदा की कृपा, लिखूं भाव अनमोल। कार्तिक माहात्म का कहूं, चौथा अध्याय खोल।। नारदजी ने कहा – ऎसा …

कार्तिक माह माहात्म्य – पांचवाँ अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 5

प्रभु मुझे सहारा है तेरा, जग के पालनहार। कार्तिक मास माहात्म की, कथा करूँ विस्तार।। राजा पृथु बोले –…

कार्तिक माह माहात्म्य – छठा अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 6

जिसके सुनने से सब पाप नाश हो जाये। कार्तिक माहात्म्य का, लिखूं छठा अध्याय।। नारद जी बोले – जब दो घड़…

कार्तिक माह माहात्म्य – सातवां अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 7

नारद जी ने कहा: हे राजन! कार्तिक मास में व्रत करने वालों के नियमों को मैं संक्षेप में बतलाता हूँ, उ…

कार्तिक माह माहात्म्य – आठवां अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 8

जिसकी दया से सरस्वती, भाव रही उपजाय। कार्तिक माहात्म का ‘कमल’ लिखे आठवाँ अध्याय।। नारद जी बोले – अ…

कार्तिक माह माहात्म्य – नौवां अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 9

राजा पृथु ने कहा: हे मुनिश्रेष्ठ नारद जी! आपने कार्तिक माह के व्रत में जो तुलसी की जड़ में भगवान वि…

कार्तिक माह माहात्म्य – दसवां अध्याय | Kartik Maas Ki Katha - Adhyaya 10

राजा पृथु बोले – हे ऋषिश्रेष्ठ नारद जी! आपको प्रणाम है। कृपया अब यह बताने की कृपा कीजिए कि जब भगवान…

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